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साहित्य का संदेश:





आज दिनांक २२.११.२३ को प्रदत्त विषय साहित्य का सन्देश पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
साहित्य का संदेश:
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कविता वहीं मन को भाती है, समाज-सुधार की बात हो जिसमें,
वीर सैनिकों  को उत्साहित विरुदावली का आभास हो जिसमें।

अनगिन कविताएं लिखी जाती हैं प्रतिदिन,मगर साहित्य का लेश नहीं,
क्षणिक प्रशंषा मिलती उनको,हृदय स्पर्श का लेश नहीं।

ऐंसे कवियों से है मेरा निवेदन,कविताओं मे बदलाव करो,
भाव भरो,जज़्बात भरो और वीर-रस का संचार करो।

श्रंगार लिखने की यदि चाहत है,शब्दों मे सुन्दरता लाओ
महफ़िल मे भी पढ़ी जा सके ,शब्दों को ऐंसे महकाओ।

ओछे शब्दों के प्रयोग से, कविता ओछी हो जाती हैं,
समाज मे पढ़ने योग्य न रहती, नहीं प्रशंषा पाती है।

कविता हो,कहानी हो या किसी विधा में लिखना हो साहित्य,
कोई सन्देश मिले समाज को,या ओजपूर्ण हो कोई सन्देश।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़





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1 Comments

Gunjan Kamal

22-Nov-2023 03:22 PM

👏🏻👌

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